Monday, December 22, 2008

थैंक्यू मम्मी




रंग-बिरंगे ऊन के गोले
मम्मी लाई भर के झोले
रात-रातभर जाग-जाग कर
बुन डाला एक सुंदर स्वेटर
स्वेटर पर दो फूल बने हैं
फूलों पर मंडराती तितली
जब मैं इसको पहन निकलती
ठंडक को भी लगती गर्मी
थैंक्यू मम्मी थैंक्यू मम्मी

5 comments:

Vinay said...

हम तो आपके दीवाने होते जा रहे हैं

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...।

Anonymous said...

bahut khub

Anonymous said...

बहुत सुंदर.

ghughutibasuti said...

बढ़िया।
घुघूती बासूती