
एक बंदरिया बैठी थी
कंप्यूटर के सामने
काम थे उसके बहुत पड़े
लगी थी वो दिल थामने
सामने की डाल पर
बैठे थे बंदर दो
बंदरिया को देखकर
हंसते थे वे हो हो कर
बंदरिया को गुस्सा आया
जाकर थप्पड़ उन्हें लगाया
बंदरों के बन गए मुंह
बंदर रोए हूऽऽऽ हूऽऽ हूऽ
काश... फ़िर से लौट आते वे दिन
2 comments:
लेकिन तुम बन्दर से दूर रहना बब्लू वरना तुम्हे भी बन्दर की थप्पड़ के बाद इसी तरह रोना पड़ जाएगा |
वैसे कविता बहुत अच्छी है और तुम्हारा ये ब्लॉग भी | शुभकामनायें |
वाह वाह.. बहुत सरस..
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