Monday, December 1, 2008

बंदर रोए हूऽऽऽ हूऽऽ हूऽ



एक बंदरिया बैठी थी
कंप्यूटर के सामने
काम थे उसके बहुत पड़े
लगी थी वो दिल थामने
सामने की डाल पर
बैठे थे बंदर दो
बंदरिया को देखकर
हंसते थे वे हो हो कर
बंदरिया को गुस्सा आया
जाकर थप्पड़ उन्हें लगाया
बंदरों के बन गए मुंह
बंदर रोए हूऽऽऽ हूऽऽ हूऽ

2 comments:

Anonymous said...

लेकिन तुम बन्दर से दूर रहना बब्लू वरना तुम्हे भी बन्दर की थप्पड़ के बाद इसी तरह रोना पड़ जाएगा |

वैसे कविता बहुत अच्छी है और तुम्हारा ये ब्लॉग भी | शुभकामनायें |

Anonymous said...

वाह वाह.. बहुत सरस..