Saturday, September 26, 2009

खुला आसमान चाहिए



मुझको टीवी नहीं देखना
कंपयूटर से नहीं खेलना
बर्गर पिज्जा आइसक्रीम
नहीं चाहिए चाऊमीन
लूडो कैरम अगड़म-बगड़म
मुझको कुछ भी नहीं चाहिए
तितली के संग मुझे खेलना
बादल से बातें करनी है
तारों को है गिनना मुझको
इंद्रधनुष के रंग चाहिए
जंगल-झाड़ी नदी पहाड़
सागर रेगिस्तान चाहिए
खूब बड़ा मैदान जहां हो
खुला हुआ आसमान चाहिए
अप्पू चाहिए मोगली चाहिए
साबू पहलवान चाहिए

Monday, September 14, 2009

चंदा मामा


चंदा मामा क्यों बैठे हो


बादल के पीछे आंखे मीचे


तारों से तुमने कर ली क्या कटटी


दूर खडे़ हो गुमसुम अकेले


आंखे बंदकर दस तक गिनूंगा


आ जाना तुम छत पर मेरे


पापा से कहकर दिलवा दूंगा


ढेर सारे तुमको खिलौने


मम्मी बना देगी हलवा पूड़ी


खा लेंगे हम थोड़ी थोड़ी


नींद लगेगी तो सो जाना


मीठे सपनों में खो जाना