Monday, January 19, 2009

हाथी दादा सेहत का राज तो बताओ



हाथी दादा हा्थी दादा
कौन सा खाना खाते हो
इतनी अच्छी सेहत कैसे
चाट-पकौड़ी खाते हो


नहीं चूहे बेटे
मैंने हरी पत्तियां खाईं
पीता हूं गन्ने का रस
इसलिए हरदम रहता मस्त


हम दोनों है शाकाहारी
पर मैं पतला तुम हो भारी
क्या है मुझे कोई बीमारी
मुझको डाॅक्टर को दिखला दो
टॅानिक-वानिक कोई दिला दो



हा हा हा हा चूहे बेटे
क्या हुआ जो तुम हो छोटे
इस दुनिया में लाखों जीव
सबकी अलग-अलग पहचान
कोई छोटा कोई मोटा
कोई गोरा कोई काला
तुम रहते धरती के अंदर
मछली रहती पानी में
मैं धरती पर दौड़ लगाता
चिडिया उडती है नभ में
सबसे मिलकर बनती धरती
रंग-बिरंगी न्यारी-प्यारी
चिंता छोड़ो घर को जाओ
हुई रात सोने की बारी

3 comments:

जितेन्द़ भगत said...

वाह, मस्‍त कवि‍ता, आपके ब्‍लॉग पर बचपन को ढ़ूढता हुआ पहुँचा। सचमुच बचपन लौट आया। लि‍खते रहें यूँ ही।

Vinay said...

बचपन लौटने का शुक्रिया

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

ghughutibasuti said...

गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ।
कविता बढ़िया लिखी है। :)
घुघूती बासूती