Saturday, November 22, 2008

चांद और बिल्लू



चांद उतर आया धरती पर
लगा पूछने बिल्लू से
छत के कोने में बैठे हो
क्यों चुपचाप निठल्लू से
बिल्लू बोला चींचीं चिड़िया
आती नहीं क्यों मेरे घर
मंडराती क्यों नहीं है तितली
कागज के फूलों पर
अमरुदों के बाग कहां हैं
मुझको दिखते नहीं हैं क्यूं
कोई मुझको नहीं बताता
इसलिए रुठा बैठा हूं

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